आप सभी को दीपावली -2024 की हार्दिक शुभकामनाएं |
दिवाली से जुड़े कुछ ख़ास फैक्ट …….
- दिवाली का इतिहास क्या है ?
- यह त्यौहार कब मनाया जाता है ?
- दिवाली क्यों मनाई जाती है ?
- दिवाली का महत्व क्या है ?
- दिवाली को कैसे मानना चाहिए ?
- दिवाली पर पूजा का महत्व क्या है ?
- दिवाली के पाँच प्रमुख दिन कौन से है ?
- दिवाली पर लोगो के प्रमुख रीती रिवाज क्या है ?
दिवाली का इतिहास क्या है :– दिवाली वैसे तो उत्तर भारत का त्यौहार था लेकिन आज यह त्यौहार विश्व के बहुत सारे देशो में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | दिवाली का इतिहास हजारों साल पुराना है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। अधिकतर हिंदूओं के लिए, दिवाली भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। 14 वर्षों वनवास में रहने के बाद और रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद जब श्रीराम अयोध्या लौटे, तो उनके स्वागत में लोगों ने पूरी नगरी को दीपों की पंक्तियों से रोशन कर दिया था। आज भी दीपों की यह परंपरा को उसी दिन की याद किया जाता है।
यह त्यौहार कब मनाया जाता है : भारतीय calendar शक संवत कैलेंडर के मुताबिक दिवाली कार्तिक महीने की अमावस्या की रात को मनाई जाती है. साल 2024 में अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर 1 नवंबर को शाम 5 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगी | तो 31 अक्टूबर की रात अमावस्या रहेगी तो इसी दिन दिवाली मनाना सही होगा |
दिवाली का महत्व क्या है :
इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। रोशनी के इस त्योहार पर दीवाली के इस खास मौके पर राम भगवान की अयोध्या वापसी की खुशी में दीप जलाने और पूजा का महत्व है
दिवाली के पाँच प्रमुख दिन कौन से है ?
दिवाली पाँच दिनों का त्योहार है, और प्रत्येक दिन का अपना महत्व होता है
- धनतेरस: पहला दिन संपत्ति और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन लोग नए बर्तन, आभूषण या अन्य सामग्रियाँ खरीदते हैं
- छोटी दिवाली: लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं
- लक्ष्मी पूजा: तीसरा दिन दिवाली का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा होती है और घरों को दीपों और रंगोली से सजाया जाता है।
- गोवर्धन पूजा: चौथे दिन को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण की भक्ति की जाती है।
- भाई दूज: पांचवा दिन दिवाली का समापन भाई दूज के साथ होता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं
दिवाली पर लोगो के प्रमुख रीती रिवाज क्या है ? :
- सफाई और सजावट: दिवाली से पहले घरों की सफाई का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह मान्यता है कि साफ-सुथरे घरों में माँ लक्ष्मी निवास करती हैं। लोग घरों को सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, और आंगन में दीप जलाते हैं।
- दीप और मोमबत्तियाँ: दीयों और मोमबत्तियों को जलाकर चारों ओर रोशनी फैलाई जाती है। दीये जलाना आत्मा को जागृत करने और जीवन में प्रकाश लाने का प्रतीक माना जाता है।
- लक्ष्मी पूजा: मुख्य दिन पर लोग लक्ष्मी पूजा करते हैं, जिसमें लक्ष्मी जी और गणेश जी का आह्वान किया जाता है। इसे संपत्ति, समृद्धि, और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- मिठाइयाँ और प्रसाद: दिवाली के अवसर पर लोग घरों में तरह-तरह की मिठाइयाँ बनाते हैं और उनका आदान-प्रदान करते हैं। इससे रिश्तों में मिठास और नजदीकी बढ़ती है।
- आतिशबाजी और पटाखे: दिवाली पर पटाखे जलाने की परंपरा यह दर्शाती है कि बुराई का नाश हुआ और रोशनी का स्वागत हुआ। हालांकि, अब कई लोग पर्यावरण संरक्षण के मद्देनज़र कम पटाखे चलाने का प्रयास करते हैं।
- यह एक ऐसा समय है जब हम अपने प्रियजनों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं
- आपके घर में लक्ष्मी का स्वागत हो सुख समृद्धि का वास हो
- गणेश की कृपा से सभी कठिनाइयों का सामना करने का साहस मिले आपका स्वास्थ्य स्वस्थ रहे
- दीपों की रोशनी की तरह आपका जीवन उज्ज्वल हो, हर पल आपके परिवार में आनंद हो
- परिवार के साथ मिलकर खुशियाँ मनाएं
- इस दीवाली पर भगवान गणेश और लक्ष्मी का आशीर्वाद आपके परिवार को सुख, शांति और समृद्धि से भर दे
दिवाली का संदेश और सार
दिवाली केवल एक त्योहार नहीं है; यह एक जीवन दर्शन है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में अच्छाई, प्रेम, करुणा और सद्भावना का क्या महत्व है। हर दीया हमें सिखाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, एक छोटा सा प्रकाश उसे मिटा सकता है। दिवाली हमें यह सिखाती है कि अपने अंदर के अंधकार को दूर करें और जीवन में ज्ञान और अच्छाई का प्रकाश लाएँ।
दिवाली का असली आनंद तभी है जब हम इसे केवल व्यक्तिगत उत्सव न मानकर सामूहिक आनंद के रूप में मनाएँ, जब हम अपनी खुशियों को दूसरों के साथ बाँटें, जरूरतमंदों को याद रखें और इस अवसर पर उन सभी का सहयोग करें जिन्हें हमारी सहायता की आवश्यकता है।
दिवाली एक ऐसा पर्व है जो हमें समाज में एकता, शांति, और प्रेम फैलाने की प्रेरणा देता है। यही कारण है कि इसे “रोशनी का त्योहार” कहा जाता है — एक ऐसा त्योहार जो बाहरी अंधकार को मिटाने के साथ-साथ हमारे भीतर के अंधकार को भी खत्म करता है।
Discover more from Bita Gyan
Subscribe to get the latest posts sent to your email.